सोमवार, 31 अगस्त 2020

रामायणाची आरती:आरती रामायण ग्रंथा जानकी जीवन रघुनाथा!

रामायणाची आरती



आरती रामायण ग्रंथा जानकी जीवन रघुनाथा !ध्रु!

आरंभी बालकाण्ड रचना| वाल्मिकी कथीली असे सूचना| कोटी शतग्रंथ विवेक भरणा| वर्णिता शक्ती नसे कवना|
 कथेची पुढे कैसी प्रौढी | 
कथेची पुढे कैसी प्रौढी|
राक्षस जलन | दशरथ लग्न| राम अवतरण| वाशिष्ठा शरण राम रीघता| पावला पूर्ण ज्ञानसरिता||१||



पर्णीली सिता चिदशक्ती| पुढे योजिली राज युक्ती| 
विकल्पे  करू कैकयी माता|बुद्धी भ्रव शली  दशरथा| 
पितृ आज्ञेने रघुनाथा |
पितृ आज्ञेने रघुनाथा| 
निघे कानना |दुष्ट मर्दना| सुखी सज्जना |करोनी निष्कंटकपंथा |पंचवटी वस्तीकरी स्वस्था||२||


मर्दीली   स्वरूप शूर्पणखा | विटंबोनी पाठविली लंका|
मारुनी  खर दुषण आणिका|वधूनी विजयी रामसखा| 
देखता भगिनी रूपाला| 
देखता भगिनी रूपाला| 
शत्रूचा उदयी| दचकला  हृदयी|  रावणी विट मानुनी चित्ता| 
म्हणे जानकी आणीन मी आता||3|| 

कपट मृग मातुल मायावी| निघे घेऊन मयजावई |
राम मग मृग वधावया जाई| रावणाने सीतानेली लवलाही|
पळे घेऊनी तस्कर जैसा |
पळे घेवोनी तस्कर जैसा|
मानी मनीहर्ष |करूपाहे स्पर्श|चापभय हर्ष| 
निराशा मानोनीया चित्ता|अशोकवणी ठेवी  जनकदुहिता||4||


राम विद्वांस गुफापाहि|वनामध्ये सिता सिता बाहे| 
शिळा दृम उद्धरित जाई|शक्र सूत  वधीला लवलाही|
मित्र सुत मित्र जोडीयेला|
 मित्र सुत मित्र जोडीयेला|
सीतेची शुद्धी करूनी महा बुद्धी|राक्षसा वधी| साह्यकरुनी सैन्य सरिता|वदे रामाशी शुभ वार्ता ||5||

तयारी करी राम राणा |सुग्रीवे सिद्ध करुनी सेना|
ऐकता उठला वीरभर्णा|वधावया रावण कुंभकर्ण|
दशयोजने वानर सेना |
दशयोजने |वानर सेना|
करती भुभू: कार| समुद्रापार|जावया शिळा सेतू करिता|पावले राम सुवेळा आता||6||

अंगदे  केली शिष्टाई|न मानीच रावण तीळराई|
देखता राम चमु पाही|घातला घाला ते समयी|
रावनेसिद्ध करूनी सेना |
रावनेसिद्ध करूनी सेना|
आला रणरंगी|वीरश्री अंगी|तरुवर भंगी|शेवटी रावण देह हंता|
राम सर्वांची करी तृप्ता ||7||

मुक्त सूरवर करून सिता|भेटला राम भरतभक्ता|
सुखावे गुरु विप्र सरिता|पावला राजासन सत्ता|
आनंदे कौशल्यामाता|
आनंदेकौशल्यामाता|
सप्त कांडाचा|हाच मतितार्थ|लीला रघुनाथ|
वाटला आनंद बहुचित्ता|प्रभू मल्लेश्वर गुण गाता||8||

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