मंगलवार, 20 जुलाई 2010

last night was wonderful one.

चरगो आफ़ताब गुम बडी हसीन रात थी /
शबाब की नकाब गुम बडी हसीन रात थी /


लबोसे लब जो मिल गये लबोसे लब जो सिल गये /
सवाल गुम जवाब गुम बडी हसीन रात थी /


लिख था जिस किताब मे कि इश्क तो हराम है /
हुई वही किताब गुम बडी हसीन रात थी //


सुदर्शन फ़ाकीर…..
last day i have gone through one gazal which is so charmaing.
how the last night was good one and every facet of ur beauty added the flavour in it.

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